प्रशिक्षुता प्रशिक्षण परिषद (एनआर) कानपुर की स्थापना वर्ष 1970 में की गई थी। वर्ष 1973 से प्रशिक्षु (संशोधित) अधिनियम 1973 के द्वारा अभियांत्रिकी डिग्री और डिप्लोमा धारकों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया को प्रशिक्षु अधिनियम 1961 के तहत लाया गया। इसके बाद 1986 में प्रशिक्षु अधिनियम 1961 में संशोधन करके 10+2 पास व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त छात्रों के प्रशिक्षु प्रशिक्षण कार्य को भी इस अधिनियम के अंतर्गत लाया गया। तबसे यह बोर्ड प्रशिक्षु प्रशिक्षण अधिनियम 1961 और इसमें समय-समय पर हुये संशोधनों के अनुसार उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, जम्मू काश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र- दिल्ली व केंद्र शासित प्रदेश चण्डीगढ़ में प्रशिक्षुता योजना को क्रियान्वित कर रहा है।
बोर्ड की परिभाषा के अनुसार स्नातक, तकनीशियन (डिप्लोमा धारी) और तकनीशियन (व्यावसायिक शिक्षा) प्रशिक्षु वे हैं जो अभियांत्रिकी या तकनीकी में डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करने या समतुल्य योग्यता प्राप्त करने या 10+2 पास करने के बाद प्रमाण पत्र पाने के लिये प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं जो सरकार या अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं द्वारा प्रदान किये जाएंगे और प्रशिक्षु वे हैं जो अभियांत्रिकी एवं तकनीकी या व्यावसायिक पाठ्यक्रम, जैसा विहित हो, में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस अधिनियम के तहत बोर्ड के पदाधिकारियों को प्रशिक्षुता सलाहकार नामित किया गया है। ये प्रशिक्षुता सलाहकार उन स्थानों की संख्या को अधिसूचित करते हैं जहाँ केंद्रीय प्रक्षेत्र के अंतर्गत केंद्र सरकार के विभागों और केंद्र सरकार के उपक्रमों, राज्य सरकारों के विभागों और उपक्रमों और निजी क्षेत्र के रोजगार प्रदाताओं द्वारा अभियांत्रिकी में डिग्री/डिप्लोमा धारकों और तकनीशियन (व्यावसायिक शिक्षा) को नियोजित किया जाएगा। प्रशिक्षु अभियांत्रिकी स्नातकों, तकनीशियन (डिप्लोमाधारकों) और तकनीशियन (व्यावसायिक शिक्षा) को इस अधिनियम के अंतर्गत विहित न्यूनतम दरों पर वृत्तिका प्रदान की जाती है जिसकी 50% राशि का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा बोर्ड के कार्यालय के माध्यम से रोजगारदाताओं को किया जाता है।
इस अधिनियम के तहत प्रशिक्षुता प्रशिक्षण की अवधि एक वर्ष है।तकनीकी संस्थानों द्वारा परीक्षा फलों की घोषण प्रतिवर्ष जून/जुलाई माह में की जाती है। इस प्रकार नियोजकों के लिये यह आवश्यक होता है कि वे परीक्षा फलों के प्रकाशन के तत्काल बाद नये-नये प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं की नियुक्ति करें। हालांकि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद रोजगार मिलने की कोई गारंटी भी नहीं है। नियोजक और प्रशिक्षु आपस में एक वर्ष के लिये प्रशिक्षुता का अनुबंध करते हैं जिसमें प्रशिक्षु की ओर से एक जमानतदार होता है। यदि एक वर्ष के भीतर अनुबंध को निरस्त किया जाता है तो इसके लिये जिम्मेवार पक्ष को अपर पक्ष को मुआवजे का भुगतान करना पड़ता है। लेकिन यदि किसी अच्छी नौकरी पाने के कारण या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से प्रशिक्षु के द्वारा अनुबंध को निरस्त किया जाता है तो उससे लिये जाने वाले मुआवजे को माफ कर दिया जाता है।
बोर्ड के उद्देश्य सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत प्रशिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड (उत्तरी क्षेत्र) के स्मार पत्र में इसके निम्नलिखित उद्देश्य बताये गये हैं
उपर्युक्त उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक अन्य प्रकार के कार्य करना।
National Apprenticeship Training Scheme (NATS) portal provides a platform for various stakeholders like Students, Establishments and Institutions to leverage the Apprenticeship training programme.
सामग्री व्यावहारिक प्रशिक्षण के शिक्षुता प्रशिक्षण / बोर्ड के बोर्डों द्वारा प्रदान की
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